हिमाचल प्रदेश जिला-सिरमौर
1. जिले के रूप में गठन-15 अप्रैल, 1948(1)
2. कुल क्षेत्रफल-2825 वर्ग किमी. (5.07%)
3. कुल जनसंख्या ( 2011 में)-5,29,855 (7.72%)
4. जिला मुख्यालय-नाहन
5. दशकीय (2001-2011) जनसंख्या वृद्धि दर-15.54%
6. जनसंख्या घनत्व (2011 में)-188
7. ग्राम पंचायतें-228
8. लिंगानुपात ( 2011 में)-918
9. विधानसभा क्षेत्र-5
10. साक्षरता दर (2011 में)-78.80%
11. कुल गाँव-971 (आबाद गाँव-966)
12. विकासखण्ड-6
13. शिशु लिंगानुपात (2011 में)-928
भूगोल
सिरमौर जिला हि.प्र. के दक्षिण भाग में स्थित है। यह 30°22' से 31°01' उत्तरी अक्षांश और 77°01 से 77°49° पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। सिरमौर जिले के पूर्व में उत्तराखण्ड, पश्चिम और दक्षिण पश्चिम में हरियाणा, उत्तर में सोलन और शिमला तथा दक्षिण में हरियाणा और उत्तराखण्ड की सीमाएँ लगती हैं। यमुना नदी और टोंस नदी सिरमौर जिले की उत्तराखण्ड के साथ सीमा बनाती है।
धार- सिरमौर जिला गिरि पार (ट्रांस गिरि) और गिरि आर (सिस गिरि) भागों में बाँटा जा सकता है क्योंकि गिरि नदी सिरमौर के बीच से बहती हुई उसे 2 भागों में बाँटती है।
गिरिपार-गिरिपार क्षेत्र में चूड़धार चोटी, नौहराधार, हरिपुरधार, शिलाई धार, टपरोली-जडोलधार स्थित है। चूड़धार सिरमौर की सबसे ऊंची चोटी है।
गिरिआर-गिरिआर क्षेत्र में सैनधार, धारटी धार और उपजाऊ क्यारदा दून घाटी स्थित है। यहाँ पर जलाल, बाटा और मारकण्डा नदियाँ प्रमुख हैं।
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इतिहास
सिरमौर का नामकरण-सिरमौर के प्राचीन सिरमौर रखा गया। रियासत की राजधानी का नाम सिरमौर होने के कारण रियासत का नाम सिरमौर पड़ा। इस क्षेत्र में सिरमौरिया देवता की पूजा की जाती थी जिसके कारण राज्य का नाम सिरमौर रखा गया।
सिरमौर रियासत की स्थापना- 'तारीख-ए . के गजेटियर ऑफ सिरमौर के अनुसार जैसलमेर के राजा उग्रसेन (सालवाहन द्वितीय) हरिद्वार तीर्थयात्रा पर आये। सिरमौर को गद्दी खाली देख उन्होंने अपने पुत्र शोभा रावल (शुभंश प्रकाश) को रियासत की स्थापना के लिए भेजा। शोभा रावल (शुभंश प्रकाश) ने 1195 ई. में राजबन को सिरमौर रियासत की राजधानी बना सिरमौर रियासत की स्थापना की।
माह प्रकाश
(1199-1217)- शुभंश प्रकाश की 1199 ई. में मृत्यु होने के बाद माहेप्रकाश राजा बने। उनके शासनकाल में सिरमौर की सीमाएँ गढ़वाल, भागीरथी, श्रीनगर और नारायणगढ़ तक फैल गई। उन्होंने भागीरथी नदी के पास 'मालदा किले' पर कब्जा कर उसका नाम 'माहे देवल' रखा।
उवित प्रकाश
(1217-1227 ई.)-उदित प्रकाश ने 1217 ई. में सिरमौर रियासत की राजधानी राजबन से कालसी में स्थानांतरित की।
कौल प्रकाश
(1227-1239 ई.)- कौल प्रकाश ने जुब्बल, बालसन और थरोच को अपने अधीन कर उसे अपनी जागीर बनाया। कौल प्रकाश ने 1235 ई. में रजिया सुल्तान के विरोधी 'निजाम-उल-मुल्क' को शरण दी थी।
• सुमेर प्रकाश
(1239-1248 ई.)-सुमेर प्रकाश ने क्योथल की जागीर रतेश को अपने अधीन कर उसे सिरमौर रियासत की राजधानी बनाया।
सूरज प्रकाश
(1374-1386 ई.)-सूरजप्रकाश ने जुब्बल, बालसन, कुमारसेन, घुण्ड, सारी, ठियोग, राबी और कोटगढ़ को अपने अधीन कर लगान वसूल किया। सूरज प्रकाश ने सिरमौर रियासत की राजधानी रतेश से पुनः कालसी में स्थापित की।
भक्त प्रकाश
(1374-1386 ई.)-भक्त प्रकाश फिरोजशाह तुगलक का समकालीन था। भक्त प्रकाश के शासनकाल में 1379 ई. में फिरोजशाह तुगलक ने सिरमौर रियासत को अपनी जागीर बनाया। फिरोजशाह तुगलक के पुत्र मुहम्मद शाह ने सिरमौर की पहाड़ियों में शरण ली थी।
जगत प्रकाश
(1386-1388 ई.)-राजा जगत दुर्गा का मंदिर बनाया। वीर प्रकाश ने 'रावीनगढ़ किला' बनवाया। तैमूर लंग के आक्रमण के समय रत्नसेन क्यारदा दून का शासक था।
राजधानी का स्थानांतरण-
नेकट प्रकाश (1398-1414 ई.) ने स्थापित की। धर्म प्रकाश (1538-1570 ई.) ने रियासत की राजधानी 'देवठल' से बदलकर पुन: कालसी में स्थापित की।
दीप प्रकाश
( 1570-1585 ई.) -दीप प्रकाश ने सिरमौर के त्रिलोकपुर में 1573 ई. में बाला सुन्दरी का मंदिर बनवाया।
बुद्धि प्रकाश
( 1605-1615 ई.)-बुद्धि प्रकाश ने अपनी राजधानी कालसी से स्थानांतरित कर राजपुर बनाई।
कर्म प्रकाश
( 1616-1630 ई.)-कर्म प्रकाश ने बाबा बनवारी दास के परामर्श से 1621 ई. में सिरमौर रियासत की राजधानी ‘राजपुर से नाहन' स्थानांतरित की। कर्म प्रकाश ने नाहन शहर और नाहन किले की नींव रखी।
मन्धाता प्रकाश
( 1630 ई.-1654 ई.)-मन्धाता प्रकाश शाहजहाँ का समकालीन था। उसने काँगड़ा के फौजदार नजावत खाँ की गढ़वाल अभियान में सहायता की थी। उसने इराज खाँ की भी गढ़वाल अभियान में मदद की थी।
सोभाग प्रकाश
(1654-64 ई.)-सोभाग प्रकाश उपहार भेजा करता था। उसका बेगम के साथ पत्र व्यवहार होता रहता था। बुद्ध प्रकाश की सेना को 'देशु की धार' पर क्योंथल की सेना ने पराजित किया था।
मेदनी प्रकाश
(1678-1704 ई.)-मेदनी प्रकाश के मुआजिम बिन आलमवीर ने भूप प्रकाश को खिल्लत सहित भीम प्रकाश की उपाधि से सम्मानित किया था। उसकी रानी ने 'कालिस्तान' में मंदिर का निर्माण करवाया था।
कीरत प्रकाश
(1757-73 ई.)-कीरत प्रकाश ने थापा और कीरत प्रकाश के बीच एक संधि हुई जिसके अनुसार गंगा नदी को गोरखा और सिरमौर राज्य के बीच सीमा माना गया।
जगत प्रकाश
(1773-92 ई.)-जार्ज फॉस्टर 1781 ई. में रोहिल्ला को कटासन में हराया और विजय स्मृति में वहाँ कटासन देवी (दुर्गा मंदिर) का मंदिर बनवाया।
धर्म प्रकाश
(1792-96 ई.)-धर्म प्रकाश हिण्डूर के हो गई थी। धर्म प्रकाश की मृत्यु के बाद उसका भाई कर्म प्रकाश-II गद्दी पर बैठा।
कर्म प्रकाश-II
(1796 ई.-1815 ई.)-कर्म प्रकाश के सिंह थापा का पुत्र) ने सिरमौर रियासत को अपने अधीन कर लिया। रंजौर सिंह ने 'जातक दुर्ग' का निर्माण करवाया। कर्म प्रकाश अपनी मृत्यु तक अम्बाला के भूरियाँ में शरण लेकर रहा।
फतेह प्रकाश
(1815-50 ई.)-सितम्बर 1815 को को फतेह प्रकाश ने भाग लिया था। फतेह प्रकाश ने नाहन में 'शीशमहल' और 'मोतीमहल' का निर्माण करवाया था।
फतेह प्रकाश ने पंचकूला में नाहन कोठी बनवाई थी।
शमशेर प्रकाश
(1856-98 ई.)-विलियम हे ने सिरमौर का को सात तोपों की सलामी दी जिसे 1867 में बढ़ाकर 11 कर दिया गया। शमशेर प्रकाश ने राज्य का प्रशासन अंग्रेजी सरकार की प्रशासन प्रणाली पर चलाने का प्रयास किया। उसने चार तहसीलों में राज्य को विभक्त कर तहसीलदार नियुक्त किए। वर्ष 1888 ई. में राजा ने 'इम्पीरियल सर्विस टूप्स' नाम की एक सैनिक टुकड़ी तैयार की। शमशेर प्रकाश ने 1878 में पहली बार जमीन का बंदोबस्त कराया। यह बंदोबस्त लाहौर के मुन्शी नंदलाल की देख-रेख में हुआ। इस 1885 ई. में लार्ड डफरिन नाहन आए। 1880 ई. में शमशेर प्रकाश ने अपने रहने के लिए शमशेर विला बनवाया। 1878 ई. में शमशेर प्रकाश ने लॉर्ड लिटन के नाहन प्रवास की स्मृति में लिट्न मैमोरियल (दिल्ली गेट) बनवाया। शमशेर प्रकाश सबसे लम्बी अवधि तक शासन करने वाले (42 वर्ष) सिरमौर के राजा है। शमशेर प्रकाश के बाद टिक्का सुरेन्द्र विक्रम सिंह (1898-1911) राजा बने।
सुरेन्द्र विक्रम प्रकाश
(1898-1911 ई.)-सुरेन्द्र विक्रम का सदस्य बनाया। उन्हें अंग्रेज सरकार ने 1901 में KCSI की उपाधि से सम्मानित किया। राजा सुरेन्द्र विक्रम प्रकाश को 4 जुलाई, 1911 को मसूरी में मृत्यु हो गई।
अमर प्रकाश
(1911-1933 ई.)-प्रथम विश्व युद्ध में पुस्तकालय' की स्थापना की जो हि.प्र. का सबसे पुराना पुस्तकालय है। उन्होंने नाहन-काला आम्ब सड़क को 1927 ई. में पक्का करवाया। उनकी मृत्यु आस्ट्रिया की राजधानी वियाना में 1933 ई. में हुई।
राजेन्द्र प्रकाश
(1933-1948 ई.)-राजेन्द्र प्रकाश सिरमौर सूरत सिंह को चुना गया। 13 मार्च, 1948 ई. को महाराज राजेन्द्र प्रकाश ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। सिरमौर 15 अप्रैल, 1948 को हि.प्र. का जिला बना।
अर्थव्यवस्था
सिरमौर के राजबन में सी.सी.आई. सीमेण्ट को 'पीच वैली' के नाम से जानते हैं क्योंकि यहाँ सर्वाधिक आड का उत्पादन होता है। 1893 ई. में सिरमौर का पहला बैंक 'नाहन नेशनल बैंक' खुला जिसे 1944 में बैंक ऑफ सिरमौर कहा गया। वर्ष 1955 में बैंक ऑफ सिरमौर का विलय हि.प्र. राज्य सहकारी बैंक में कर दिया गया। सिरमौर के कमरऊ में चूना पत्थर की खानें हैं। सिरमौर के काला आम्ब, नाहन और पौंटा साहिब में उद्योगों की भरमार है। पौंटा साहिब में रैनबैक्सी, मैनकाइंड, सन फार्मा जैसी बड़ी फैक्टरियाँ स्थित हैं। नाहन में नाहन फाउण्ड्री के अलावा, 1945 ई. में रेजीन और तारपीन फैक्ट्री की भी स्थापना की गई है।
मेले
अम्बोया में 30 जनवरी को गाँधी मेला लगता है। साहिब में होली पर सिक्खों का त्योहार होला मोहल्ला और शरद ऋतु में यमुना शरद महोत्सव मनाया जाता है। सिरमौर में माघी का त्योहार, और बिशु (मार्च-अप्रैल) का मेला लगता है।
विविध
लोक नाट्य-स्वांग और करियाला।
वन्यजीव विहार-रेणुका (शेरों के लिए प्रसिद्ध) और राष्ट्रीय पार्क-सिंबलवाड़ा।
झील-रेणुका (हि.प्र. की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील)
जीवाश्म उपवन-सुकेती में 'फॉसिल पार्क' (जीवाश्म उपवन) स्थित है जहाँ 1972 ई. में प्रागैतिहासिक काल के जानवरों के जीवाश्म मिले थे
विश्वकर्मा मंदिर-हि.प्र. के पौंटा साहिब में विश्वकर्मा मंदिर स्थित है।
रेणुका-भगवान परशुराम की जन्ममुख्यमंत्री थे। वह रियासत काल में 1930-1937 तक सब-जज और 1937-1941 तक जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिरमौर के पद पर रहे। वह 1956-63 तक संसद सदस्य भी रहे। वह संविधान सभा के सदस्य भी रहे। उनके प्रयासों से हि.प्र. को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ। उन्होंने 'हिमालय में बहुपति (Polyandry) प्रथा, पुस्तक लिखी।
किंकरी देवी-किंकरी देवी को पर्यावरण संरक्षण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार (महारानी लक्ष्मीबाई) प्रदान किया गया है। वह संगहाड़ की रहने वाली हैं।
जननाँकीय आँकड़े
सिरमौर जिले की जनसंख्या 1901 ई. में जिले का जनघनत्व 1971 ई. में 87 से बढ़कर 2011 ई. में 188 हो गया है। सिरमौर जिले का लिंगानुपात 1901 ई. में 798, 1951 ई. में 800, 1971 ई. में 835 और 2011 में 918 दर्ज किया गया। सिरमौर जिले का लिंगानुपात 1901 ई. में न्यूनतम (798) और 2011 में अधिकतम 918 दर्ज किया गया। सिरमौर जिले में 2011 में 29.61% अनुसूचित जाति और 1.30% अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या निवास करती है। सिरमौर जिले में 2011 में 4,72,926 (89.21%) जनसंख्या ग्रामीण और 57,238 (10.79%) जनसंख्या शहरी थी। सिरमौर जिले की 2011 में साक्षरता दर 78.80%, आबाद गाँव-966, ग्राम पंचायतें-228, विधानसभा क्षेत्र-5, विकासखण्ड-6, और शिशु लिंगानुपात 928 दर्ज किया गया है।
सिरमौर जिले का स्थान
सिरमौर जिला क्षेत्रफल में आठवें स्थान पर स्थित है। सिरमौर जिला जनसंख्या (2011) में पाँचवें स्थान पर है। सिरमौर जिला दशकीय (2001-2011) जनसंख्या वृद्धि दर में दूसरे स्थान पर है। सिरमौर जिला जनघनत्व (2011) में सातवें स्थान पर है। सिरमौर जिला जनसंख्या (29.61%) प्रति वर्ग कि.मी. में निवास करती थी। सिरमौर जिले में सड़कों लम्बाई 2907 किमी. है और वह चौथे स्थान पर है। सिरमौर जिला 2011-12 में सबसे ज्यादा अदरक, आडू, मिर्च स्ट्रॉबेरी और अखरोट का उत्पादन करता है। खुमानी और नींबू उत्पादन में सिरमौर दूसरे तथा आम उत्पादन में तीसरे स्थान पर है। सिरमौर जिला सर्वाधिक वनों से ढका है। यहाँ 48.96% भाग वनाच्छादित है।
सामान्य ज्ञान (हिमाचल प्रदेश)
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