हिमाचल प्रदेश जिला-शिमला
1. जिले के रूप में गठन-1972 ई.
2. जिला मुख्यालय-शिमला
3. जनसंख्या घनत्व ( 2011 में)-159
4. साक्षरता दर (2011 में)-83.64%
5. कुल गाँव-2914 (आबाद गाँव-2520)
6. विकास खण्ड-10
7. शिशु लिंगानुपात ( 2011 में) 925
8. कुल क्षेत्रफल -5,131 वर्ग कि.मी. (9.22%)
9. कुल जनसंख्या (2011 में) 8,14,010 (11.86%)
10. लिंगानुपात ( 2011 में) 915
11. दशकीय (2001-2011) जनसंख्या वृद्धि दर 12.67%
12. ग्राम पंचायतें-363
13. विधानसभा क्षेत्र-8
भगोल
शिमला जिला हि.प्र. के दक्षिण पूर्व में स्थित है। यह 30°45' से 31°44' उत्तरी अक्षांश तथा 77°0' से 78°19' पूर्वी देशांत. के बीच स्थित है। शिमला के पूर्व में किन्नौर और उत्तराखण्ड, दक्षिण में सिरमौर, दक्षिण पूर्व में उत्तराखण्ड, उत्तर में कुल्लू और मण्डी, पश्चिम के सोलन जिला स्थित है।
पर्वत शृंखला एवं चोटियाँ- शिमला शहर में जाखू पहाड़ी, प्रोस्पेक्ट पहाड़ी, ओब्जरवेटरी पहाड़ी, समर पहाड़ी और एल्सिजिम पहाड़ी स्थित है, जिसमें जाखू सबसे ऊंची पहाड़ी है। शिमला शहर की जाखू चोटी, चायल की सियाह चोटी, चौपाल तहसील की चूड़धार, रोहणू तहसील की चांसल चोटी, सुन्नी तहसील की शाली चोटी और कुम्हारसेन तहसील की हाटू चोटी शिमला जिले की प्रसिद्ध चोटियाँ हैं।
इतिहास
शिमला जिले का इतिहास-शिमला पहाड़ी रियासतों में बुशहर सबसे बड़ी और रतेश (2 वर्ग मील) सबसे छोटी रियासत है। शिमला जिले की पहाड़ी रियासतों का विवरण निम्नलिखित है-
बलसन-
बलसन रियासत की स्थापना रण भादुर सिंह थे। “हिस्ट्री ऑफ बलसन स्टेट" उन्हीं की लिखी पुस्तक है। वर्तमान में बलसन 'ठियोग
तहसील का हिस्सा है।
भज्जी-
भज्जी रियासत की स्थापना कुटलेहर के अन्तिम शासक राणा रामचन्द्र पाल थे। भज्जी को 1948 में तहसील बनाकर (महासू) हि.प्र. में विलय किया गया। वर्तमान में भज्जी सुन्नी तहसील का भाग है।
कोटी-
कोटी रियासत की स्थापना कुटलेहर पुन: क्योंथल रियासत की जागीर बन गई। हरिचंद ने 1857 ई. में अंग्रेजों की मदद की जिसके बदले उन्हें 'राणा' का खिताब दिया गित कममाटी तहसील का भाग बनकर 1948 ई. में (महासू जिला) हि.प्र. में मिल गई।
थरोच-
थरोच रियासत की स्थापना उदयपुर के नियंत्रण हटाकर रणजीत सिंह को गद्दी पर बैठाया। थरोच रियासत के अंतिम शासक ठाकुर सूरत सिंह को "राणा" की स्थायी उपाधि मिली। थरोच रियासत को 15 अप्रैल, 1948 ई. को चौपाल में मिलाकर (महासू जिला) हि.प्र. का भाग बनाया गया।
ढाढी-
ढाढी रियासत थरोच को प्रशाखा थी जिस पर बना दिया गया। वर्ष 1948 में ढाढी जुब्बल तहसील (महासू जिला) का भाग बनकर हि.प्र. में मिली।
कुमारसेन-
कुमारसेन रियासत की स्थापना गया (बिहार) से आक्रमण के समय कुल्लू रियासत में शरण ली थी। राणा प्रीतम चंद ने श्रीगढ़ दुर्ग की घेराबन्दी में ब्रिटिश
सरकार की मदद की थी। राणा विद्याधर सिंह कुमारसेन के अन्तिम शासक थे। कुमारसेन 15 अप्रैल, 1948 को महासू जिले का भाग बना।
खनेटी-
खनेटी रियासत की स्थापना कुमारसेन भाई पृथ्वी सिंह ने की थी। यह भी 1815 ई. में बुशहर रियासत की जागीर थी। देलथ को 15 अप्रैल, 1948 ई. में बुशहर रियासत में मिलाकर महासू जिले का हिस्सा बनाया गया। वर्तमान में यह रामपुर बुशहर तहसील का भाग है।
धामी-
धामी रियासत की स्थापना पृथ्वीराज 1857 ई. के विद्रोह में भी अंग्रेजों की सहायता की थी। धामी रियासत की राजधानी 'हलोग' थी। धामी को 15 अप्रैल, 1948 ई. में कुसुमपट्टी तहसील का भाग बनाकर महासू जिले में मिलाया गया।
जुब्बल-
जुब्बल रियासत की स्थापना उग्रचंद के की। गोरखा आक्रमण के समय पूर्ण चंद जुब्बल रियासत के शासक थे। जुब्बल रियासत 1815 ई. को स्वतंत्र रियासत बनी। राणा पूर्णचंद को ब्रिटिश सरकार ने 'राणा' की उपाधि प्रदान कर (1815 ई. में) स्वतंत्र सनद प्रदान की। जुब्बल थे। जुब्बल को 15 अप्रैल, 1948 ई. में महासू जिले में मिलाया गया।
रावीनगढ़ (रावीं)-रावीनगढ़ रियासत की वीर प्रकाश ने रावीगढ़ दुर्ग की स्थापना की। रावीनगढ़ रियासत के अंतिम शासक टिक्का फतेह सिंह थे। रावींनगढ़ वर्तमान में जुब्बल तहसील का भाग है।
रतेश-
रतेश रियासत की स्थापना कर्म प्रकाश (आयु) ने सिरमौर में भागकर अपनी जान बचाई। ठाकुर शमशेर सिंह रतेश के आखिरी शासक थे।
शांगरी-
शांगरी रियासत पहले बुशहर के अधीन थी गई। राय रघुबीर सिंह शांगरी रियासत के अंतिम शासक थे।
क्योंथल-
क्योंथल रियासत की स्थापना सुकेत महलोग, कुठार, कुनिहार, धामी, थरोच, शांगरी, कुमारसेन, रजाणा, खनेटी, मैली, खालसी, बघारी, दीघयाली
और घाटा
गोरखा आक्रमण के समय (1809 ई.) । क्योंथल रियासत की राजधानी जुंगा थी। क्योथल राणा संसार सेन ने 1857 ई. के विद्रोह में अंग्रेजों की मदद की जिसके बदले उन्हें 'राजा' की उपाधि और 'खिल्लत' प्रदान किया गया। क्योंथल के राजा ने कुसुमपटी को 1884 ई. को ब्रिटिश सरकार को पट्टे पर दिया था। हितेंदर सेन क्योंथल रियासत के अंतिम शासक श्री
घूण्ड
घूण्ड रियासत की स्थापना जनजान सिंह ने की थी। घृण्ड रियासत क्योंथल रियासत की जागीर श्री। जो 1815 ई. में पुनः क्याथल रियासत को जागीर बन गई। घूण्ड रियासत के अंतिम शासक रणजीत सिंह थे।
ठियोग
ठियोग रियासत की स्थापना कहलूर के ठियोग रियासत के अंतिम शासक थे। ठियोग रियासत भारत में विलय होने वाली हि.प्र. की पहली रियासत थी।
मधान-
मधान रियासत की स्थापना कहलूर मधान रियासत के अंतिम शासक थे। मधान रियासत ठियोग में मिलकर 1948 ई. में महासू जिले का भाग बनी।
कोटखाई-
कोटखाई रियासत की स्थापना कुम्हारसैन के कोटगढ़ ब्रिटिशरों ने स्वयं अपने पास रखी।
करांगला-
करांगला की स्थापना कुम्हारसेन के संसार चंद ने की थी। करांगला रियासत बुशहर रियासत की जागीर थी।
सारी-
सारी रियासत की स्थापना 1195 ई. में पूर्ण सिंह सारी के अंतिम शासक थे। ब्रिटिश सरकार ने 1864 ई. में सारी को नज़राने के रूप में बुशहर रियासत को दे दिया। बुशहर रियासत
स्थापना-
बुशहर रियासत की स्थापना श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न ने बुशहर रियासत की स्थापना की और कामरू को बुशहर रियासत की राजधानी बनाया। प्रद्युम्न के 110वें वंशज राजा चतर सिंह ने राजधानी "कामरू" से "सराहन" स्थानांतरित की।
राजा केहरी सिंह-
राजा केहरी सिंह को "अजानुबाहु" कहा सीमा तक पीछे कर दिया था।
राजा राम सिंह
(1767-1799 ई.)-राजा राम सिंह ने 1776 में स्पीति के ढांकर दुर्ग को अपने अधीन किया था। राजा रामसिंह ने बुशहर रियासत की राजधानी सराहन से रामपुर स्थानांतरित की।
गोरखा आक्रमण-
1810 ई. में गोरखा आक्रमण के समय 1815 ई. में स्वतंत्र सनद' प्रदान की। राजा शमशेर सिंह-राजा शमशेर सिंह ने 1857 ई. के विद्रोह में अंग्रेजों का साथ नहीं दिया था। राजा पदम सिंह-राजा पदम सिंह बुशहर रियासत के अंतिम शासक थे।
शिमला शहर का इतिहास
शिमला का नामकरण -शिमला शहर का का गठन किया। शिमला शहर की खोज-सन् 1817 ई. में स्कॉटलैण्ड के 2 अधिकारियों कैप्टन पैट्रिक जेराड और अलेक्जेन्डर जेराड ने अपनी डायरी में शिमला गाँव का वर्णन किया था। शिमला पहाड़ी रियासत के पहले असिस्टेंट पॉलीटिकल एजेन्ट लेफ्टिनेंट रोज ने 1819 ई. में शिमला की सर्वप्रथम खोज की और हैं फिर भी हमें नाश्ते का समय मिल जाता है।" लॉर्ड काम्बरमेयर ने 1828 ई. में काम्बरमेयर पुल का निर्माण करवाया। शिमला में 1828-29 में बैंटिक कैसल, ऑकलैण्ड हाउस, स्नोडन और बैनिमोर भवन बनकर तैयार हुए।
1830 से 1840 ई. की घटनाएँ-शिमला की यात्रा की। अन्नाडेल मैदान में 1833 ई. में पहला फन मेला आयोजित किया गया। मेजर कैनेडी ने शिमला पहाड़ी क्षेत्र में आलू की खेती शुरू करवाई। अफगानिस्तान पर हमले का फैसला 1838 ई. में ऑकलैण्ड हाउस में लिया गया। कर्नल रॉथनी ने
1840-1850 ई. की घटनाएँ-कर्नल जे. बायलू ने 1844 ई. में ऑब्जरवेटरी हाउस का निर्माण करवाया जो बाद में वायसरीगल लॉज बना। गवर्नर जनरल लॉर्ड हार्डिंग और कलकत्ता के बिशप रे, डेनियल विल्सन ने 1844 ई. को शिमला के क्राइस्ट चर्च की रिज मैदान पर नींव रखी जो 1857 ई. में बनकर तैयार हुआ। 1844 ई. में यू.एस. क्लब बना।
1850-1860 ई. की घटनाएँ-लार्ड आवास एलर्जली 1857 ई. में बनकर तैयार हुआ। 1857 ई. के विद्रोह के समय लार्ड विलियम हे शिमला के उपायुक्त और जनरल एन्सन, आर्मी के कमाण्डर-इन-चीफ (शिमला) थे।
1860-1870 ई. की घटनाएँ-लार्ड रही। 1863 ई. में पीटरहॉफ में रूकने वाले पहले वायसराय लार्ड एलिान थे।
1870-1880 ई. की घटनाएँ-1871 ई. में शिमला को प्रथम श्रेणी नगरपालिका का दर्जा प्राप्त हुआ। शिमला 1871 से 1947 ई. तक पंजाब सरकार का ग्रीष्मकालीन ई. में बना। अलायस बैंक ऑफ शिमला (शिमला का पहला बैंक) का 1874 ई. में गठन हुआ।
1880-1900 ई. की घटनाएँ-1882 ई. में लॉर्ड रिप्पन ने रिप्पन अस्पताल की नींव रखी जिसे 1885 ई. में लॉर्ड इफरिन ने जनता को समर्पित किया। शिमला के रोथनी मैदान पर डूरण्ड कप शुरू करवाया जिसे बाद में शिमला से कलकत्ता ले जाया गया। कालका-शिमला रेलवे लाइन माल ढुलाई के लिए 1891 ई. में सर्वप्रथम खोली गई। इस रेल लाइन के मुख्य इंजीनियर एच.एस. हैरिंगटन थे। भालखू राम ने बड़ी द्वारा इस रेल लाइन का सर्वे आंदोलन चलाया। 1904 ई. में गोर्टन कैसल में सिविल सचिवालय को स्थानातरित किया गया 1974 ई. में मैकमोहन रेखा ( भारत चीन सीमा रेखा) खीचने का निर्णय शिमला में लिया गया। 1904 ई. में सेंट बोइज कॉलेज की स्थापना
1920 से 1940 ई. तक की घटनाएँ-1921 ई. में शिमला जिले से बेगार समाप्त किया गया। महात्मा गाँधी ) का उद्घाटन किया। सेंट एडवर्ड स्कूल 1925 ई. में बना।
1940-1950 ई. की घटनाएँ- ई. में बदलकर भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (IIAS) रखा गया। इसका निर्माण लार्ड डफरिन ने करवाया था।
1950 ई. के बाद की घटनाएँ- (महालेखाकार) का कार्यालय है। हि.प्र. हाई कोर्ट रावेन्स वुड में स्थित है। बॉल सिंघम शिमला के उपायुक्त का सरकारी आवास है। ओकओवर मुख्यमंत्री का सरकारी आवास है। रॉथनी कैसल ए.ओ. ह्यूम और बुशहर के राजा का आवास था। एलर्सली और आर्मसडेल में हि.प्र. सचिवालय स्थित है। लार्ड किचनर की मृत्यु ढली (संजौली) सुरंग के निर्माण के दौरान हुई। पीटरहॉफ वर्तमान में हि.प्र. सरकार का स्टेट गेस्ट हाउस है। शिमला शहर 1 नवम्बर, 1966 ई. को हि.प्र. में मिलाया गया तब से लेकर (1966) अब तक यह हि.प्र. की राजधानी है।
मंदिर
भीमाकाली मंदिर (सराहन), जाखू मंदिर (हनुमान को समर्पित), कालीबाड़ी मंदिर शिमला में स्थित है।
महासू और शिमला जिले का गठन
15 अप्रैल, 1948 ई. को शिमला की 26 नवम्बर, 1966 ई. को हि.प्र. में मिलाए गए जिसके बाद 1972 में महासू और शिमला क्षेत्रों का पुनर्गठन कर शिमला व सोलन जिले का निर्माण किया गया।
बागवानी
शिमला के मशोबरा में सबसे जिले में सेब की ब्रिटिश किस्म एलेग्जेण्डर कोट्स ने सर्वप्रथम लगायी।
अर्थव्यवस्था
शिमला जिले के ज्यूरी में भेड़ प्रजनन है। शिमला जिले के पाशी (पाण्डव) और शाठी (कौरव) के बीच ठोडा खेल खेला जाता है
जननाँकीय आँकड़े
शिमला जिले को जनसंख्या 1901 ई. में में 6,11,884 (75.23%) जनसंख्या ग्रामीण और 2,01,500 (24.77%) जनसंख्या शहरी थी। शिमला जिले में 8 विधानसभा क्षेत्र, 10 विकासखण्ड, 363 ग्राम पंचायतें, 2520 आबाद गाँव स्थित हैं। शिमला जिले की 2011 में 83.64% साक्षरता दर, 925 शिशुलिंगानुपात, 12.67% दशकीय (2001-2011) जनसंख्या वृद्धि दर थी।
शिमला जिले का स्थान
शिमला जिले में सर्वाधिक शहरी और सबसे कम में और वहाँ काँगड़ा के बाद सर्वाधिक सड़कों की लंबाई है। शिमला जिला लिंगानुपात (2011) आय और मिलिशानुसार असा स्थान का है। शिमला जिले में चम्बा के बाद सर्वाधिक वनाच्छादित क्षेत्रफल (2,384 वर्ग कि.मी.) है। शिमला जिले में कुल अन्न बालकल का भार उन्नों ढका है और वह सिरमौर के बाद दूसरे स्थान पर है। शिमला जिला सर्वाधिक आलू का उत्पादन करने वाला जिला है। शामला जिल्ला साविक मल जाती और अलिमण्ड का उत्पादन करता है। शिमला जिला नाशपाती और कीवी के उत्पादन में दूसरे स्थान पर स्थित है।
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