हिमाचल प्रदेश जिला-कुल्लू
1. जिले के रूप में गठन-. 1963
2. जिला मुख्यालय-. कुल्लू
3. जनघनत्व-. 80 (2011 में)
4. साक्षरता दर-. 79.40% (2011 में
5. कुल क्षेत्रफल-. 5503 वर्ग किलोमीटर।
6. जनसंख्या-. 4,37,903 (2011 में)
7. लिंग अनुपात-. 942(2011 में)
8. दशकीय वृद्धि दर-14.76% (2001-2011 में)
9. कुल गाँव-172(आबाद गाँव-172)
10. ग्राम पंचायतें-204
11. विकास खण्ड-5(2014 तक)
12. विधानसभा सीटें-4
13. हवाई अड्डा-भुंतर
14. लोकसभा क्षेत्र-मण्डी
भूगोल
भौगोलिक स्थिति-कुल्लू हिमाचल प्रदेश के मध्य भाग में स्थित जिला है। यह 31°21' 32°25' उत्तरी अक्षांश और 76°55' से 76°50' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। कुल्लू के उत्तर में और उत्तर-पूर्व में लाहौल-स्पीति, पूर्व में किन्नौर, दक्षिण में शिमला, पश्चिम और दक्षिण में मण्डी और उत्तर पश्चिम में काँगड़ा जिला स्थित है।
कुल्लू रियासत का इतिहास
कुल्लू रियासत के स्रोत-कुल्लू के योग्य संसार का अंत माना गया था। कुल्लू रियासत की वंशावली ए.पी.एफ. हारकोर्ट की पुस्तक 'कुल्लू लाहौल -स्पीति' में दी गई है।
ह्वेनसाँग का विवरण-चीनी यात्री
कुल्लू रियासत की सात वजीरियाँ:
1. परोल वजीरी (कुल्लू शहर)।
2. वजीरी रूपी (पार्वत और सैंज खड्ड के बीच) (कनांवर क्षेत्र)।
3. वजीरी लग महाराज (सरवरी और सुल्तानपुर से बजौरा तक)।
4. वजीरी भंगाल (छोटा बंगाहल क्षेत्र)।
5. वजीरी लाहौला
6. वजीरी लग सारी (फोजल और सरवरी खड्ड के बीच)।
7. वजीरी सिराज (सिराज को जालौरी दर्रा दो भागों में बाँटता है)।
कुल्लू रियासत की स्थापना-
कुल्लू रियासत की स्थापना पच्छपाल ने 'गजन' और 'बेवला' के राजा को हराया। यह त्रिगर्त के बाद दूसरी सबसे पुरानी रियासत है।
पाल वंश
1.विशुदपाल-नग्गर के सामंत कर्मचंद को युद्ध में हराकर जगतसुख से नग्गर स्थानांतरित की।
2.रूद्रपाल-रूद्रपाल के समय स्पिति के कुल्लू लाहौल क्षेत्र छीन लिया।
3. प्रसिद्धपाल-रूद्रपाल के पोते जाद करवा लिया।
4.दत्तेश्वर पाल-दत्तेश्वर पाल के ल को हराया। वह इस युद्ध में मारा गया। दत्तेश्वर पाल पालवंश का 31वाँ राजा था।
5.जारेश्वर पाल (780-800 ई.)-पाल के समय चम्बा का राजा लक्ष्मी वर्मन था।
6.नारदपाल-वह चम्बा के राजा साहिल वर्मन का समकालीन था।
7.भूपपाल-कुल्लू के43वें राजा को हराकर उसे बंदी बनाया।
8.उर्दान पाल-(1418-1428 ई.)-वाय
पड़ोसी राज्यों के पाल वंश पर (1428-1450 ई.)-कुल्लू का अंतिम राजा था जिसके बाद 'पाल' उपाधि का प्रयोग नहीं हुआ।
सिंह बदानी वंश-
कैलाश पाल के बाद के 50 वर्षों के ह बदानी वंश की स्थापना की। उन्होंने जगतसुख को अपने राजधानी बनाया।
1.बहादुर सिंह (1532 ई.)-सिद्ध सिंह ने अपने पुत्र प्रताप सिंह का विवाह चम्बा के राजा गणेश वर्मन की बेटी से करवाया। बहादुर सिंह के बाद प्रताप सिंह (1559-1575), परतब सिंह (1575-1608), पृथ्वी सिंह (1608-1635) और कल्याण सिंह (1635-1637) मुगलों के अधीन रहकर कुल्लू पर शासन कर रहे थे।
2.जगत सिंह (1637-72 ई.)-जगत वजीरी पर कब्जा किया। औरंगजेब उन्हें 'कुल्लू का राजा' कहते थे। कुल्लू के राजा जगत सिंह ने 1640 ई. में दाराशिकोह के विरुद्ध विद्रोह किया तथा । राजा जगत सिंह के समय से ही कुल्लू के ढालपुर मैदान पर कुल्लू का दशहरा मनाया जाता है। राजा जगत सिंह ने 1660 ई. में अपनी महल का निर्माण करवाया था। कुल्लू में वैष्णव धर्म का प्रचार जगत सिंह के समय हुआ।
3.विधि सिंह (1672-88)-राजा विधि लाहौल का भाग मिल गया। उसने चन्द्रभागा से तांदी के बीच का भाग भी चम्बा से वापिस ले लिया। स्थानांतरित
4.मानसिंह (1688-1719)-कुल्लू के राजा किये। उसने बाहरी सराज का 'पन्द्रह-बीस' का भाग बुशहर से जीतकर वहाँ पर तीन किले पन्द्रह-बीस, दवको-पोचका व टांगुस्ता बनवाये। उसके को मरवा दिया।
4.राजसिंह (1719-31)-राजा राजसिंह के समय गुरु गोविंद सिंह जी ने कुल्लू की यात्रा कर मुगलों के विरुद्ध सहायता माँगी जिसे राजा ने अस्वीकार कर दिया।
5. जय सिंह (1731-1742)-जय सिंह के मुगल सूबेदार से डरकर) और उसने राज्य अपने चचेरे भाई टेढ़ी सिंह को सौंप दिया।
6. टेढ़ीसिंह (1742-67)-टेढ़ी सिंह ने किया। टेढ़ी सिंह के कार्यकाल में घमण्ड चंद ने कुल्लू पर आक्रमण किया। इसी समय मुस्लिम कट्टरपंथियों ने बजौरा मंदिर की मूर्तियों को तोड़ा। राजा टेढ़ी सिंह की वैध संतान नहीं थी। दासी पुत्र (अवैध संतानों में सबसे बड़े) प्रीतम सिंह 1767 ई. में गद्दी पर बैठा।
7. प्रीतम सिंह (1767-1806)-प्रीतम ने बीड़ बंगाहल पर अधिकार कर कुल्लू के वजीर भागचंद को बंदी बनाया जिसे राजा प्रीतम सिंह ने 15 हजार रुपये देकर छुड़वाया।
8. विक्रम सिंह (1806-1816)-1806 में मोहकम चंद कर रहे थे। विक्रम सिंह ने गोरखों को सांगरी क्षेत्र के लिए कर दिया। संसार चंद ने भी कुल्लू राज्य से कर वसूला।
9. अजीत सिंह (1816-41)-विक्रम सिंह की ने मण्डी की सहायता से किशन सिंह को पराजित कर बंदी बना लिया। काबुल के अमीर शाहशुजा ने कुल्लू में शरण ली जिससे रणजीत सिंह नाराज हो गया और दण्ड स्वरूप 80 हजार रुपये की माँग की। कुल्लू सेना ने 1818 में अजीत सिंह ने सांगरी (ब्रिटिश संरक्षण में) रियासत में शरण ली जहाँ उनकी मृत्यु 1841 ई. हो गई। कुल्लू रियासत 1840 से 1846 ई. तक सिक्खों के अधीन रहा।
ब्रिटिश सत्ता एवं जिला निर्माण प्रथम सिख युद्ध के बाद 9 मार्च, 1846 ई. को कुल्लू रियासत अंग्रेजों के अधीन आ गई। का उपमण्डल बनाकर शामिल किया गया। कुल्लू उपमण्डल का पहला सहायक आयुक्त कैप्टन हेय था। सिराज तहसील का उस समय मुख्यालय बंजार था। स्पीति को 1862 में सिराज से निकालकर कुल्लू की तहसील बनाया गया। वर्ष नवम्बर, 1966 ई. को पंजाब से हिमाचल प्रदेश में विलय हो गया।
अर्थव्यवस्था
. कृषि और पशुपालन-
कुल्लू के सैंज में खाद्यान्न बीज संबर्द्धन बंसीलाल ने स्थानीय स्तर पर सेब के बगीचे लेगाने का कार्य किया। मनाली में ए.टी. बैनन ने 1884 ई. में ब्रिटिश किस्म के सेब लगाये। डफ ने कटरैन और डुंगरी, रौनिक ने बजौरा, मिनिकिन ने नग्गर में सेब के बाग लगाये। जी.सी.एल. में कुल्लू मण्डी सड़क बस योग्य बनी।
उद्योग और खनिज-
कुल्लू में ग्रामीण औद्योगिक प्रशिक्षण, संस्थान, बालिका औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) स्थित है। शमशी की ITI 1961-62
ई. में शुरू हुई। पार्वती घाटी में कायनाइट लारजी और हारला में लाइमस्टोन पाया जाता है। ना
जलविद्युत परियोजनाएँ
(i) पार्वती परियोजना (2051 मेगावाट) हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना है।
(ii) मलाणा पारियोजना(86 मेगावाट),
(iii) लारजी परियोजना (126 मेगावाट)
.
पार्वती जलविद्युत परियोजना-अक्टूबर, 1992 में समझौता किया। ये पाँच राज्य हैं-गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश।
मेले और मंदिर
कुल्लू दशहरा
कुल्लू के ढालपुर मैदान में दशहरे के में बूढ़ी दीवाली मनाई जाती है। देवी हिडिम्बा की याद में डूंगरी मेला लगता है।
मंदिर
मनाली में हिडिम्बा देवी मंदिर स्थित है जिसे में महिषासुरमर्दिनी और विश्वेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है।
महत्वपूर्ण स्थान
. मनाली-मनाली का नाम मनु के नाम पर पड़ा (मनु-आलय) अर्थात् मनु का घर। मनु ने सृष्टि की रचना यहीं से आरंभ की। सिंह ने बनवाया था। मनाली में श्रृंग ऋषि ने राजा दशरथ से पुत्र-प्राप्ति के लिए यज्ञ करवाया था। मनाली कुल्लू मार्ग के भनारा गाँव में अर्जुन गुफा है। इसमें श्रीकृष्ण भगवान की प्रतिमा है। अर्जुन ने ब्रह्म-अस्त्र प्राप्ति के लिए यहीं तपस्या की थी। मनाली में 1961 ई. में पर्वतारोहण संस्थान खोला गया।
मणिकर्ण-यहाँ पर गर्म पानी का चश्मा है। यहाँ देवी पार्वती की कान की मणि टूट कर गिर गई थी।
नग्गर-यहाँ पर रोरिक कला संग्रहालय है।
महत्वपूर्ण व्यक्ति
प्रताप सिंह-1857 ई. विद्रोह के नेता जिन्हें धर्मशाला में फाँसी पर चढ़ा दिया गया था।
निकोलस रौरिक-रूसी कलाकार जो
जननाँकीय आँकड़े-
कुल्लू जिले की जनसंख्या 1901 ई. में 1,19,585 से बढ़कर 1951 ई. में 1,45,688 हो गई। वर्ष 1971 ई. में कुल्लू जिले की जनसंख्या 1,92,371 से बढ़कर 2011 ई. में 4,37,903 हो गई। कोई भी गैर-आबाद गाँव नहीं है। कुल्लू जिले में 204 पंचायतें हैं। कुल्लू जिले में दो नगर परिषद् कुल्लू और मनाली तथा दो नगर पंचायत भुंतर और बंजार स्थित हैं।
कुल्लू जिले का स्थान-
कुल्लू जिला क्षेत्रफल में पाँचवें स्थान पर है। कुल्लू था। 2011 की साक्षरता में कुल्लू जिला नौवें स्थान पर स्थित है। कुल्लू जिले की 9.43% जनसंख्या शहरी और 90.57% जनसंख्या ग्रामीण है। कुल्लू जिले का वन क्षेत्रफल के मामले में तीसरा तथा वनाच्छादित क्षेत्रफल के मामले में सातवाँ स्थान है। कुल्लू जिले में 1,14,942 भेड़ें हैं और वह तीसरे स्थान पर है। में किन्नौर के बाद सबसे कम चरागाह हैं। वर्ष 2011-12 में कुल्लू जिला सेब उत्पादन में तीसरे स्थान पर था। कुल्लू जिले में 2011-12 में सर्वाधिक प्लम, नाशपाती और अनार का उत्पादन हुआ।
किताबें
1.हिमालयन डिस्ट्रिक्ट ऑफ कुल्लू और लाहोल स्पीति'-ए.पी.एफ. हाइकोर्ट 2.'कुल्लूत देश की कहानी'-लाल चंद्र प्रार्थी (1972 ई.
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